meri urdu ghazalen

तुम्हारी चाहत में मर गया मैं, कभी तुम्हें एतबार होगा
करोगी पीछे जो याद मुझको, तो दिल बहुत बेक़रार होगा

किया है तुमसे जो दिल-ही-दिल में, कभी तो ज़ाहिर वो प्यार होगा
तुम्हारे नाक़ाम आशिकों में, कभी तो मेरा शुमार होगा

किसे पता था कि ख़ूने-दिल से, तुम्हारा शौक़े-बहार होगा
चिरागे-महफिल के साये में ही, शहीदे-शब बेमज़ार होगा

है यह भी जीने में कोई जीना, न ज़ीस्त अपनी न मौत अपनी
बना ले ऐसा जहाँ कि जिस पर, तेरा ही कुल अख़्तियार होगा

चहक ले कितनी भी सुर में बुलबुल, न पायेगी हुस्न की अदाएँ
हजारों नग्मों का साज़ गुल की, ख़मोशियों पर निसार होगा