meri urdu ghazalen
दर्द होता रहा रात भर
कोई रोता रहा रात भर
अपने अश्कों से यादों के दाग
कोई धोता रहा रात भर
लोग सोये थे, तू क्यों, गुलाब !
गंध ढोता रहा रात भर
दर्द होता रहा रात भर
कोई रोता रहा रात भर
अपने अश्कों से यादों के दाग
कोई धोता रहा रात भर
लोग सोये थे, तू क्यों, गुलाब !
गंध ढोता रहा रात भर