ahalya

आवर्थ शून्य के जलद-पटल-सी खोल सघन
नव ज्योति इंद्र-धनु-शर-सी प्रतनु, अतनु-मोहन
माधवी लता-सी फुल्ल, उल्लसित, दोलित-मन
उतरी नीले नभ के गवाक्ष पर से निःस्वन
क्षण-क्षण सहमी, सकुचाती

तिर्यक्‌-तुरंग-दृग नत, अभंग भ्रूभंगों में
ग्रीवा हंसी-सी यौवन-हास-तरंगों में
भुजमूल नग्न, आमग्न चरण कच-भृंगों में
लावण्य-वसन-धृत, गौर गुलाबी अंगों में
आत्मा-प्रदीप की बाती