ahalya
संकुचित भीत-सी उठी अहल्या स्वागत को
शल्या-सी उर में लिये दृष्टि दूरागत को
पल तोड़ गया कल्पों के संकल्पित व्रत को
साधना-विरत, श्लथ, जीवन तप-तेजोहत को
सिर पर कलंक-सा ढोती
लोचन काले मृगशावक-से डह-डह, अडोल
काजल रेखांकित गोरे, गोल, कपोल लोल
पद्मिनी, हृदय-सद्मिमि , प्रिया, प्रतिमा अमोल
देखा प्रियतम ने चकित बाँधे भुजबंध खोल
प्रति-निमिष दूर-सी होती