ahalya

अंबर-तरु-खसित विकीर्ण भूमि पर जलद-लता
किंवा हिम-चूर्ण-चंद्रिका-सरि परिहास-रता
अंगीकृत सुषमा, पुंजीकृत-सी चेतनता
भर कर मरोर भौंहों में जैसे कुहावृता
माया छाया-सी डोली

डोले सुगंध से अंध भ्रमर, मधुऋतु आयी
तारक-द्वीपों में दीपमालिका-सी छायी
अमरत्व निछावर, यौवन ने ली अँगड़ाई
तप-शीर्ण युगों से हृदय-कली पा हुलसायी
मुनियों ने आँखें खोलीं