anbindhe moti

कौन किसको याद करता है !

दीन मानव धैर्य खोता
फूटकर शिशु-तुल्य रोता
विदा होने के समय तो,
सच, बहुत ही दुःख होता
कौन लेकिन याद उसके बाद करता है !

छीनती जब मृत्यु निर्मम
आत्म-जन कोई निकटतम
कुछ दिनों रोते सभी,
चलता वही फिर पूर्व-सा क्रम
कौन जीवन याद में बरबाद करता है !

मोह जग में नित्य नव-नव
दूर हो रहना असंभव
जिस जगह जाता मनुज,
मिलते हजारों बंधु-बांधव
प्रेम की दुनिया नयी आबाद करता है
कौन किसको याद करता है !
1940