अनबिंधे मोती_Anbindhe Moti
- अंचल लहरा चलती वह
- अमावस का दिया
- अलक मुख पर मेदुरा हुई
- अविरल प्रिय का पंथ निरखती
- आईना कहता है मैं सुन्दर हूँ
- आज घर इतने दिनों पर चाँदनी आयी
- आज वासंती निशा में
- आया था तूफान यहाँ भी
- इतने आसमान के तारे
- इसी सुविस्तृत जग के अन्दर
- ऐसी तुम्हारी याद है
- कमला कमल-हासिनी
- करुणा घन बरसे
- कल्पने, तू क्यों बैठी हार
- कविजी
- कैसे आयी मेरी याद
- कोकिले! तेरे गीत अजान
- कौन किसका प्रेम है पाता
- कौन किसको याद करता है
- खड़ा मैं तट पर आज अकेला
- गीत कैसे मौन हो
- घर घर में दीपक जले
- चन्द्र-ग्रहण
- चुंबन, ये वसंत के फूल
- छवि के मुकुलित दृग खोलो
- जब तक मन नहीं मिलता है
- जादू का घोड़ा
- जीवन-धर्म
- जो इस जग से चले गए हैं
- ज्योतित तमपथ पर मुख-चन्द्र-प्रकाश तुम्हारा
- टूट ज्यों गया हरिण का जोड़ा
- तन और मन की भूख
- तुम्हारी सुन्दरता-प्रिय तुम अपनी सुन्दरता से
- तुम्हारी हँसी
- दो चित्र
- नदी की धारा सी तुम आयी
- नित नव छवि का हास
- नींद तुम्हारी सौत बड़ी है
- नील गगन से मेरा परिचय
- नूपुर मधुर बने
- परिचय मेरा नील गगन से
- पवन परी
- पूर्व स्मृति
- पूस की रात
- प्राण तुम ज्योत्स्ना सी सुकुमार
- प्रिंस फिलिप को देख सोचता
- प्रिय तुम प्राणों के स्तर-स्तर में
- प्रिय! तुम न मिली तो जीवन क्या
- प्रीति में जीवन छला गया
- प्रेम एकांगी ही पलता है
- प्रेम यह वरदान या अभिशाप जीवन का
- बरसात है
- भड़भूजे
- भर दिए तन-मन सौ रंगों से
- भूल सकता हूँ प्रिये! वह रात मैं
- मधुयामिनी
- मुक्तक
- मुझ तक आये कौन?
- मुझसे रूठ गए मन के वासी
- मुझे एक पति चाहिए
- मुझे बता दो मेरा परिचय
- मेघों में तारे सोये हैं
- मैं तुम्हारा हास लूँगा
- मैंने माँगा प्यार
- युगधर्म
- ये दिन तो ऐसे ही होते हैं
- रवींद्रनाथ के प्रति
- रूप नहीं खोता है
- रे, यह तो पतझड़ की वेला
- वर्षा सुंदरी
- वार्तालाप
- सखी ये भावुक
- स्मृति