अन्तःसलिला_Antah Salila

  1. मैं कवि के भावों की रानी 
  2. मैं यौवन की पंखुरिया खोल रहा हूँ 
  3. आत्म-चिंतन 
  4. फूल खिला उसर में 
  5. गीत में भर दो मेरा जीवन 
  6. आजा ओ मेरे जीवन की 
  7. जाने मैंने उस जीवन में 
  8. मैं न रहूँगा 
  9. मैं फिर एक उड़ान भरूँगा 
  10. ओ मेरे जीवन की वीणा 
  11. जीवन का क्षण-क्षण नाच रहा 
  12. छाया कैसा यह इंद्र-जाल 
  13. अयि अमर चेतने ज्योति-चरण ! 
  14. ऐसी मेरे मन की भाषा 
  15. आधा यौवन हो चुका शेष 
  16. ओ मन की हलचल ठहर, ठहर 
  17. मुझको न व्यथा से बहलाओ 
  18. तम से बंधा प्रकाश 
  19. फिरता रहा चतुर्दिक जग में 
  20. फट-फट मेरे पाँवों के पीछे 
  21. मेरे लक्ष्य खो गया साथी 
  22. धूप न रुचती, शीत 
  23. कुछ भी नहीं किया 
  24. ऐसे ही रहा 
  25. मैंने यह सांप क्यों पकड़ा है 
  26. फूल रे! झड़ने के दिन आये 
  27. दुःख के नील घनों में 
  28. हूँ शर बिंधा आखेट मैं 
  29. मैंने मन का मोल किया था 
  30. सबके हित एक सा खिला 
  31. यह कैसा वर है 
  32. मेरे मन में कोई राधा बेसुध 
  33. मेरी इस पीड़ा का साक्षी 
  34. मैंने जो लिखा है 
  35. फिरे, सब फिरे 
  36. निरुद्देश्य, निःसंबल, निश्क्रमित 
  37. हम तो नाव डूबा कर 
  38. यह रत्नों का हार किसे पहनाऊँ 
  39. अब यह ध्वजा कौन पकड़ेगा 
  40. पल-पल अन्धकार बढ़ता है 
  41. रागिनी यह घर-घर गूँजेगी 
  42. गीत का जीवन कितना है 
  43. गाये जो ये गीत 
  44. संध्या की वेला 
  45. किसके लिए लिखूँ मैं 
  46. गीत ये गूंजेगे उर-उर में 
  47. आईना चूर हुआ लगता है 
  48. गोरी तेरा मन किसने छीना 
  49. तू क्यों आँसू व्यर्थ बहाए 
  50. मैंने मरू में केसर बोई 
  51. जग में चलाचली के मेले 
  52. प्रेम की तेरे आज परीक्षा 
  53. समझो बस प्रवास ही झेला 
  54. यद्यपि यह प्रभात की वेला 
  55. सुरों की धारा बहती जाती 
  56. जी चुके जीवन को क्या जीना ! 
  57. जाने कौन व्यथा जीवन की ! 
  58. अब तुम नौका लेकर आये 
  59. कहाँ तक जाएगी झंकार? 
  60. हम तो शब्दों के व्यापारी 
  61. भित्ति नहीं है कोई 
  62. यदि वे दिन फिर आते 
  63. साज नहीं सजता है 
  64. जीवन गाते गाते बीते 
  65. कहाँ जाइये किससे कहिये 
  66. हम तो काँटे ही चुनते हैं 
  67. कौन पीड़ा को सुर में गाता 
  68. मेरे गीत तुम्हारा स्वर हो 
  69. मुझे जग लगता सपने जैसा 
  70. अब ये फूल फूल रस भीने 
  71. ग़ज़ल कहो या गीत 
  72. जीवन फिर से भी यदि पाऊँ 
  73. कवि के मोहक वेश में 
  74. कभी ज्यों नभ-पथ से आती हो 

• “आपकी प्रतिभा ने अनेकरूपात्मक विकास कर लिया है। आप हिन्दी के परम समर्थ कवि हो गये हैं, इसमें किसी प्रकार का संदेह नहीं है।”
-पं. विश्वननाथ प्रसाद मिश्र