antah salila

हम तो नाव डुबाकर आये
कोई क्‍यों तट पर से हमको, अब आवाज़ लगाये!

लड़ा किये लहरों से जब तक, सब थे नयन फिराये
निकल गये जब जल के बाहर, डाँड सुनहले लाये
भाग्यवान वे रहे जिन्होंने मणि-मुक्तादिक पाये
वरना हम-सा कौन तिरा था, कोई यह बतलाये
दुनिया मत देखे, मत समझे, हमें भूल भी जाये
मिट न सकेंगी ये जल की रेखायें, लाख मिटाये

हम तो नाव डुबाकर आये
कोई क्‍यों तट पर से हमको, अब आवाज लगाये!

जुलाई 86