anbindhe moti

प्रीति में जीवन छला गया

जिससे मन मिल गया एक दिन
अब जीना दूभर उसके बिन
रातें कटतीं तारे गिन-गिन
मृगजल से प्राणों की प्यास बुझाने भला गया

पहले मन का नाता जोड़ा
फिर यों मुझे राह पर छोड़ा
हँसी-हँसी में हृदय मरोड़ा
उसे ज्ञात क्या, फूल एक पाँवों से मला गया !

मुल्य हृदय का मेरे धरती
वह भी प्यार मुझे कुछ करती
पर यह लाज कहाँ जा मरती !
मैं प्याला ले खड़ा रहा, मधु-अवसर चला गया

प्रीति में जीवन छला गया
1940