anbindhe moti

नूपुर मधुर बजे

रिमझिम रिमझिम प्रकृति-वधू के
नूपुर मधुर बजे

काले बादल उमड़-घुमड़कर
आये एक-एक से बढ़कर
सागर से समीर पर चढ़कर
मृदू मृदंग-ध्वनि से नीले गगनांगन में गरजे

प्रिय की स्मृति लहरायी नूतन
मधुर व्यथा से तड़॒पा यौवन
‘कसक उठे काँटों-से क्षण-क्षण
नयनों में उन्मत्त प्रणय के मोहक चित्र सजे

चिकनी नई कोंपलें डोलीं
चंचु चकित मोरों ने खोलीं
लहरें छाया के सँग हो लीं
ढले सुरीले पद-बंधों में, मेरे छंद मँजे

नूपुर मधुर बजे

1941