anbindhe moti

नील गगन से मेरा परिचय

कितना सूनापन है इसमें
कितनी भरी जलन है इसमें
आँखें भर आती हैं इसका देख मुस्कुराने का अभिनय

दुख-सुख, हाय, उठाये कितने !
छेद हुऐ छाती में इतने
काले भरे हुए मेघों में है कितनी आहों का संचय

कभी चांदनी, कभी अँधेरी
देते रात और दिन फेरी
मुझ-सा ही होता है इसमें नित्य नये भावों का समुदय
नील गगन से मेरा परिचय

1940