anbindhe moti
नींद तुम्हारी सौत बड़ी है, तुम-सी ही मतवाली है
बस दोनों में अंतर इतना, तुम गोरी, यह काली है
नहीं बुलाने से आती यह
हँसकर दूर भाग जाती यह
जब निराश हो जाता मैं, तब
चुपके से आ मदमाती यह
सो जाती उर से लग तुम-सी, सेज न रहती खाली है
नयन खोलने के पहिले ही
उठ चल देती बिना मिले ही
जगी न चुंबन देती मुझको
चूम मुझे ले आप भले ही
बात-बात में हठी तुम्ही-सी, भौं में तेवरवाली है
मान-ग्रंथि भी रो-रो खुलती
वही भाग्यलिपि मिलती-जुलती
सपने में झट खो जाता मैं
जब कोमल साँसों में घुलती
तुम-सी ही उन्मादक, इसके अधरों की भी लाली है
नींद तुम्हारी सौत बड़ी है, तुम-सी ही मतवाली है
बस दोनों में अंतर इतना, तुम गोरी, यह काली है
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