anbindhe moti
कैसे आयी मेरी याद
इतने दिन के बाद !
फिर जागा उन्माद !
मधु, वसंत का
दिवस-अंत का
कर्महीन अवसाद
फिर भर गया विषाद !
शैशव पथ का
यौवन-अथ का
प्रथम प्रणय-आहलाद
फिर गूँजा अपवाद
भाद्र-कृष्ण निशि
देख पूर्व दिशि
उगा चौथ का चाँद
कैसे आयी मेरी याद
इतने दिन के बाद?
1943