bhakti ganga

अब क्या माँगूँ आगे!
सब कुछ तो दे डाला तुमने पहले ही बेमाँगे

काक मानसर में जा पैठा
रजकण रत्नमुकुट पर बैठा
फिरे नहीं क्यों ऐंठा-ऐंठा

भाग्य अचानक जागे !

यही विनय है, छोड़ न देना
किया दिये से जोड़ न देना
बीच नृत्य के तोड़ न देना

कठपुतली के धागे

अब क्या माँगूँ आगे!
सब कुछ तो दे डाला तुमने पहले ही बेमाँगे