bhakti ganga
कितने जीवन, कितनी बार
तुमने दिए एक जीवन में, मेरे सिरजनहार!
शैशव में गुड्डों से खेला
यौवन था रंगों का मेला
आयी जब संध्या की वेला
खुले नये ही द्वार
कैसे-कैसे गीत सुनाये!
अनुभव कहाँ-कहाँ के आये!
एक जन्म में तुमसे पाये
सौ जन्मों के प्यार
कितने जीवन, कितनी बार
तुमने दिए एक जीवन में, मेरे सिरजनहार!