bikhare phool

कभी सपनों में ही मिल जाते
कुछ तो हम अपने जीवन के सुख-दुख कह सुन पाते

यद्यपि बदल चुके अब ऐसे
मिल न सकेंगे पहले जैसे
पर कुछ तो कहते, हैं कैसे

दिन किस भाँति बिताते

पा संमुख घेरा संशय का
अब भी रुकता ज्वार हृदय का!
करके याद प्रेम नव वय का

क्या न नयन भर आते!

यों तो व्यर्थ काल का रोना
हुआ भले ही जो था होना
पर मन का अँधियाला कोना

अब तो खोल दिखाते

कभी सपनों में ही मिल जाते
कुछ तो हम अपने जीवन के सुख-दुख कह-सुन पाते

1995