boonde jo moti ban gayee

मेरे और तुम्हारे बीच में यह तीसरा कौन रहता है
जो हमारे आलिंगन को पूर्ण नहीं होने देता,
मेरे हर प्रश्न के उत्तर में बस मौन रहता है ?
उस पर दृष्टि पड़ते ही जाने क्‍यों
तुम्हारा रंग उड़-सा जाता है,
चेतना में कहीं कुछ टूटने-सा लगता है,
मन जैसे कहीं और जुड़-सा जाता है।
कौन है वह, जिसे देखते ही
तुम्हारे गालों के लाल गुलाब श्वेत हो जाते हैं ?
आँखों ही आँखों में जैसे कुछ संकेत हो जाते हैं ?
ओ अन्यमनस्के !
मुझे संपूर्ण तुम्हारी आवश्यकता है,
माना वह कोई नहीं है,
पर कोई हो भी तो सकता है !’