boonde jo moti ban gayee
यदि किसी सागर-परिवेष्ठित द्वीप पर
केवल हम दोनों ही रहें!
तो भी क्या आवश्यक होगा
कि मन की बातें संकेतों से ही कहें!
खजूर और नारियल के पेड़ों की,
संध्या में दुहरी-तिहरी कतारें
चाँदी के चमकते निर्झर
और झिलमिलाते हुए सितारे
क्या प्रेरणा नहीं देंगे हमें
कि मछलियों-से अकुंठित लहरों में बहें!
नीरव नयनों का अनकहा कुछ
आज खुल नहीं पाता है
लोकलाज से बँधा हुआ मन
काँप-काँपकर रह जाता है
कभी तो गले-से-गले लगकर हम
एक साथ आँधी के थपेड़े भी सहें!
आवारा हवाएँ खड़खड़ाएँगी,
खलनायक चाँद कभी टोकेगा
फिर भी दो तड़प रहे हृदयों को
मिलने से कौन वहाँ रोकेगा!
आज जो एक नहीं होने देतीं हमें
कभी तो वे बीच की कल्पित दीवारें ढहें!
यदि किसी सागर परिवेष्ठित द्वीप पर केवल हम दोनों ही रहें।
तो भी क्या आवश्यक होगा कि मन की बातें संकेतों से ही कहें!