boonde jo moti ban gayee

यदि तुम्हारा जी चाहता है
कि मैं सदा तुम्हें एक-सा ही दिखाई दूँ
तो मेरी ओर देखना छोड़कर
मेरी कविता की ओर देखो।
यह तुम्हें निरंतर ऐसी ही सुंदर दिखाई पड़ेगी।
न तो इसका रूप किंचित्‌ मलिन होंगा
न इसके मुख पर कभी कोई झाँईं पड़ेगी।
मैंने स्वयं को अपनी रचनाओं में
रूपांतरित कर दिया है,
अपने मन का समस्त सौंदर्य
इन पंक्तियों में भर दिया है;
इन्हें पढ़ते समय तुम्हें लगेगा
कि मेरी उँगलियों ने ही तुम्हारी चेतना के तारों को छुआ है,
मेरा धड़कता हुआ हृदय ही
तुम्हारी हथेली पर रक्खा हुआ है।