boonde jo moti ban gayee

इस बार कोयल को चुप ही रहने दो।
वह जो कहना चाहती है,
मुझे ही कहने दो।

माना कि कोयल तुम्हें रस में डुबा देती है,
उसके स्वरों में जादू है,
पर वह मन को उबा देती है
क्योंकि फूलों से उसका नाता
अभी नहीं टूटा है,
उसने झंझा का आक्रोश नहीं देखा,
उसके सिर पर अभी दुःखों का पहाड़ नहीं टूटा है;

हो सकता है उसने कभी किसीसे प्रेम किया हो,
और उसे पा न सकी हो,
गीतों में कसक भरने को यह भी कुछ कम नहीं है;
परंतु वधिक के तीरों से
लहूलुहान होकर तड़पना और बात है,
और ही अनुभव है कि मंजिल कोसों दूर रहे,
और राही को लगे
कि उसमें एक कदम भी और चलने का दम-खम नहीं है।

नहीं, इस बार कोयल को चुप ही रहने दो,
वह जो कहना चाहती है,
मुझे ही कहने दो।