boonde jo moti ban gayee
एक फूल को डाल पर ही कुम्हलाते हुए देखकर मैंने कहा–
क्या यह कम गौरव की बात है
कि अंत तक तू अछूता ही रहा
‘फूल बोला, ‘रूप और यौवन नश्वर हैं,
यदि मैं यह जानता
तो जीवन भर अनाघ्रात रहने का हठ कभी नहीं ठानता,
मुझे इसका दु:ख नहीं है कि मैं आज कुम्हला रहा हूँ,
दुःख मुझे इसका है कि मैं क्यों सदा अछूता रहा हूँ