chandni

चाँदनी छुईमुई-सी

रजत तार-गुंफित नीले कच
झिलमिल तनु-सौंदर्य अनिर्बच
शुभ्र भाल पर शशि-बिंदी रच
खिली प्रथम ज्यों नभ-आँगन में बिना छुई-सी

शत भावोद्वेलित उर कोमल
चकित मृगी-सी चितवन चंचल
नयनों में भर रहा कुतूहल
शैशव में सोकर यौवन में जगी हुई- सी

किसने देह लता झकझोरी!
सुन परिचित ध्वनि, चढ़ी न त्योरी
मुड़ पहना दी प्रिय को गोरी
कोमल पतली-पतली बाँहें धुनीं रुई-सी

चाँदनी छुईमुई-सी

1942