चाँदनी_Chandni
- अविरल प्रिय का पंथ निरखती
- आज तो पूनो मचल पड़ी
- आज राका यामिनी
- आज हँसो मधु-हासिनी
- खिल रही हो सामने भोली और अजान
- चंद्रकांत यह नहीं, चाँदनी
- चन्द्र की कला
- चाँद से रूठ गयी चाँदनी
- चाँदनी कनक छरी सी
- चाँदनी करती चली परिहास
- चाँदनी कलि सी खिलती जाती
- चाँदनी कविता लिखती उन्मन
- चाँदनी किसकी होगी आज
- चाँदनी किसके प्रेम विभोर
- चाँदनी केवल चार दिनों की
- चाँदनी खिली दूध की धोयी
- चाँदनी खेल रही होली
- चाँदनी चन्द्र-भवन से निकली
- चाँदनी चली सकुचती सी
- चाँदनी छुई-मुई सी
- चाँदनी जल-विहार को उतरी
- चाँदनी तारों में फिरती
- चाँदनी तू आयी किस देश !
- चाँदनी पर्वत की बाला
- चाँदनी फूल चुन रही वन में
- चाँदनी बैठी चन्द्र-झरोखे
- चाँदनी भटक रही निर्जन में
- चाँदनी मधु-हास सी
- चाँदनी मेरे नंदन की
- चाँदनी वन के बीच खिली
- चाँदनी वन-वन भटक रही
- चाँदनी वन-विहार को आयी
- चाँदनी विदा ले रही सबसे
- चाँदनी श्रृंगार करके चली
- ज्योत्स्ना उर-उर की उर्वशी
- ज्योत्स्ना रजत-सिन्धु सी उमड़ी
- ज्योत्स्ना सुरपुर की मालिनी
- ज्योत्सने, ओ निर्जन की रानी!
- ज्योत्सने, ओ हुलास भरी !
- तारों की सज आरती
- दिगंबर अम्बर से उतरी
- नीली साड़ी पहने तुम चाँदनी रात सी
- मदभरी ज्योत्स्ना मधु पी-पी
- मिलन सी खिली रात
- मेरे मधुर चाँदनी के गीत
- विरह-विकल विभावरी
- विरहिन राधा सी यह कौन बावली
- विश्व-मोहिनी बनी
• “कवि के हाथों में शब्द नाचते हुए आते हैं।”
-बेढब बनारसी
• “आभामय जगत का ऐसा मुग्धकारी वर्णन दूसरे स्थान पर कठिनाई से मिलेगा.”
-श्री विश्वम्भर ’मानव’