chandni

चाँदनी! किसके प्रेम-विभोर!

सरल रूप, यौवन-छवि अविकच
अंग-अंग में राग अनिर्वच
घने चरण तक घुँघराले कच

खड़ी सरित-तट निरख रही अपनी तिर्यक्‌ दृगू-कोर !

कुंदन बदन, कुंद-द्युति-हासिनि!
अवलय, मलय-दुकूल-विलासिनि।
किरण-वंदिता, नीरव-भाषिनि!

स्वप्न-जड़ित-सी चली जा रही किन कुंजों की ओर!

कर-मरंद-कंकण तृण-पल्लव
तारक-हार इंदु-बिंदी नव
निंदित-वीणा मृदु चातक-रव

ढूँढ़ रही गा-गाकर फूलों में क्या निज चितचोर!
चाँदनी, किसके प्रेम-विभोर !

1941