chandni
चाँदनी किसकी होगी आज!
चंद्रमुखी ! तुम चाँद बनी, मैं तृषित चकोर-समाज
नील वसन, कृश गोरे तन पर श्रम-कण रहे विराज
भू पर ज्यों उतरी स्वरगंगा तारों का पट साज
मद के भार झुकी चितवन में प्रथम प्रणय की लाज
अधर सकुचकर छिपा रहे ज्यों मुख चुंबन के ब्याज
नीरव रजनी, मेघों में से निकल रहा उडुराज
उछल-उछल लड़ते दृग दृग से ज्यों खंजन से बाज
1942