chandni
चाँद से रूठ गयी चाँदनी
रश्मि रेशनी घूँछट काढ़े
मूर्तित नभ-गवाक्ष के आड़े
कातर भुज-बंधन में गाढ़े
मुड़ती-सी प्रतिकार कर उठी नयी-नयी चाँदनी
नखत-पुतलियाँ फिरा मोह-सी
भौंह चढ़ाकर स्वरारोह-सी
दूर हटी उर से विछोह-सी
अरुण वसंत-लता-सी दीपित रोषमयी चाँदनी
उमड़ा नील नयन से सागर
क्षमा. माँगते-से अधराधर
झुके यदपि चरणों में कातर
मूक चली हो गयी वक्ष-कंपित विजयी चाँदनी
चाँद से रूठ गयी चाँदनी
1942