chandni

चाँदनी वन के बीच खिली 

सकुच नयन-पंखड़ियाँ मींचे
खड़ी आम्र के तरु के नीचे

     हँसती हुई मिली

पलकें उठीं, मिले युग लोचन
झुके अधर, थर-थर काँपा तन
कूक उठी पिक, गूँजा मधुवन

  शाखा तनिक हिली

प्रथम मिलन-परिणय-मधु -पूरित
हुई विदा जब प्रात मंद-स्मित
अरुण कपोलों पर थी अंकित

प्रेम-भेंट पहली

चाँदनी वन के बीच खिली


1942