chandni
चाँदनी मेरे नंदन की
बाहर प्रतिभा-रवि, उर-शशि-छवि
कलिका-सी कोमल, कठोर-पवि
मेरी मानस-कविता की कवि
छू कर से धारणा कर गयी जड़ में चेतन की
नाट्य-कला अभिनय की, जय की–
श्री, कुमारिका मृदु परिचय की
कच्ची वय की, बच्ची भय की
प्राणों की, जीवन की, यौवन की, तन की, मन की
अरुणिम स्मिति से रँगे अधर मधु
तम की मोहक चितवन मृदु-मृदु
चिर अंतर्वासी, चिर नव-वधु
बसी अकिंचन की कुटिया में प्रतिमा कंचन की
चाँदनी मेरे नंदन की
1942