chandni

चाँदनी केवल चार दिनों की

नील जड़ाऊ नभ का आसन
दुर्वा – चंदन – रचित हुताशन
किस पर होगा नीरव शासन

दिशि-वधुएँ हँस रहीं चतुर्दिक टोली सुहागिनों की

मुख सुंदर अलकों से घिरकर
पीत वसन, अरुणाभा सिर पर
हरिणी-सदृश्‌ नयन फिर-फिरकर

सहज अछूती ऐसी सुषमा जग में इने-गिनों की

प्रिय – करतल – स्नेहावगुंठिता
अभिनय कौ भैरवी, कुंठिता
सृष्टि किसी की तम-विलुंठिता

जीवन भर ढोयेगा गठरी स्मृति के मधुर ऋणों की
चाँदनी केवल चार दिनों की

1943