diya jag ko tujhse jo paya
छोड़ इस घर को जब जाएगा
कोई तो बतलाओ, जीवन शरण कहाँ पायेगा
किस अनंत की शून्य दिशा में
निकल पड़ेगा उँगली थामे
इसे काल का दूत निशा में
जब लेने आयेगा?
क्या पिछली स्मृतियों से कातर
लौटेगा यह पुनः धरा पर
या घर कहीं शून्य में रचकर
जग को बिसरायेगा?
छोड़ इस घर को जब जाएगा
कोई तो बतलाओ, जीवन शरण कहाँ पायेगा