ek chandrabimb thahra huwa
ओ निष्ठुर!
तेरे कठोर आलिंगन में
मेरे गले की माला टूटकर बिखर गयी है,
किंतु कितने बड़े आश्चर्य की बात है,
उसके मोतियों की रंगत पहले से भी अधिक निखर गयी है।
ओ निष्ठुर!
तेरे कठोर आलिंगन में
मेरे गले की माला टूटकर बिखर गयी है,
किंतु कितने बड़े आश्चर्य की बात है,
उसके मोतियों की रंगत पहले से भी अधिक निखर गयी है।