geet ratnavali

स्वामी! छोड़ें यों न अनाथ
भक्ति राम की दुगुनी होगी, लें मुझको भी साथ

यदि बनना भी हो संन्यासी
तो साध्वी बन कर यह दासी
प्रभु के साथ चलेगी काशी

दिये हाथ में हाथ

सुनकर प्रात खगों की बोली
पूजा को सज चंदन, रोली
भर ताजा फूलों से झोली

माला देगी गाँथ

गीत आपके मेरे स्वर में
सुन झूमेंगे सुर अंबर में
रामकथा होगी घर-घर में

होगा विश्व सनाथ

स्वामी! छोड़ें यों न अनाथ
भक्ति राम की दुगुनी होगी, लें मुझको भी साथ