geet ratnavali

हुआ जो कुछ भी आज सही है,
यदि मेरी बलि लेकर ही प्रभु ने हरिकथा कही है

स्वामी! क्‍यों मन में दुख मानें
मिलें राम यदि इसी बहाने
जग को तो तारा रत्ना ने

क्या यदि आप बही है!

सखियो! सब मिल गाओ सोहर
जाना है मुझको पति के घर
देखो, खड़े वहाँ प्राणेश्वर

विदा-मुहूर्त यही है

रचो सिँगार, करो मत देरी
शीघ्र सजा दो डोली मेरी
मार्ग अगम है, रात अँधेरी

छाती धड़क रही है

हुआ जो कुछ भी आज सही है,
यदि मेरी बलि लेकर ही प्रभु ने हरिकथा कही है