guliver ki chauthi yatra

जब तक सुर तुम तक पहुँचेंगे
तब तक तो वीणा चुप होगी, ठाठ सभी बिखरेंगे

तब आकर भी क्या पाओगे!
सभा शून्य पा फिर जाओगे
जो पद, पुरस्कार लाओगे

किसे कृतार्थ करेंगे!

आना है तो आज, इसी क्षण
बिना सुने ही दे दो दर्शन
तुम्हें सुनाने को यह गायन

और न हम ठहरेंगे

यद्यपि सुख इसमें भी पाया
जो इस सभा-भवन में गाया
मन को तो विश्वास न आया

सुर ये तुम्हें वरेंगे

जब तक सुर तुम तक पहुँचेंगे
तब तक तो वीणा चुप होगी, ठाठ सभी बिखरेंगे