guliver ki chauthi yatra

होगा वही जो कि होना है
क्यों उसकी चिंता कर-करके तुझको यों धीरज खोना है!

जो सुध रखता है कण-कण की
भूले सुध तेरे जीवन की!
तेरे हित जो नियति चयन की

मिट्टी हो तो भी सोना है

तू अपने दुख को रोता है
प्रतिपल यहाँ प्रलय होता है
क्या वह सृजनहार सोता है!

क्यों इतना रोना-धोना है!

होगा वही जो कि होना है
क्यों उसकी चिंता कर-करके तुझको यों धीरज खोना है!