har moti me sagar lahre

उसकी कृपा में यदि विश्वास तेरा सच्चा है
तेरे लिए जो भी होता है यहाँ अच्छा है
सोच तो यह, कौन रक्षा कर रहा निरंतर तेरी
तू जो खेल रहा साँप से अबोध बच्चा है