हर मोती में सागर लहरे_Har Moti Me Sagar Lahre
- अब तुम बुरा कहो या भला
- अब तो आशा एक तुम्हारी
- अब तो मुझे टिकानी ही होगी अपनी
- अब खुला राज की इस लब्ज़ का मानी क्या है_ग़ज़ल
- अब न मधुशाला है न साकी, न घट प्याले
- अमृत भरा चाँद जो चमकता था गगन में
- अंतर में भावना का जब उफान आता है
- आम पाये बबूल भी बोकर
- इसी मार्ग से सब गये
- उसकी कृपा में यदि विश्वास तेरा सच्चा है
- एक-एक दिन
- कागज़ पर की एक लकीर
- काया तो मल-मल कर धोयी
- काल का सिरहाना, ओढ़े चादर इतिहास की
- काव्य महाकवियों के, सुरमय गुनियों के साज
- काव्य में दूँ सीख
- किधर से आये अबकी धारा
- किस सुर में मैं गाऊँ!
- गहरी निद्रा से नित्य सोकर जहाँ जाते लोग
- चाहे विश्वास करो चाहे करो अविश्वास
- चिंता निंदकों की नहीं, कहें जो हो कहना
- जब सब करके हारा
- जब तक तक स्वर का लेश रहेगा
- जाओ हम रखेंगे याद
- जिसके बल पर था तुमसे माँगा
- जिसको तूने दिया सहारा
- जिसे ढूँढने में ज़माने लगे हैं
- जितना शब्दों में रख पाया
- जो लिखा उसे करके दिखाना होगा
- तूने जो वरदान दिये
- तेरे लिए जो भी होता है यहाँ
- देखा है मैंने सामने इन आँखों के
- देनी हो मुझको जो भी व्यथा मनचाही, दें
- नया रूप, नव काया
- प्रभु! यह श्रद्धा की डोर न टूटे
- मत कुछ लिखें, मत कुछ कहें
- मधुमय स्मृति बन रहतीं मन में
- मिट्टी के रथ को लिए मिट्टी के ये घोड़े
- मिलके बिछुड़े जो उनका ग़म हूँ मैं
- मुक्ति में माना, सभी दग्ध हों पाप
- मैंने उलटी कथा कही
- मैंने द्वार-निकट जब गाये
- मैं हिमालय की बड़ी चोटियों पे फिरता हूँ
- मोह अपनों का और अपने का
- रत्नहार ग्रीवा में सदा हूँ जिसे टाँगे
- रूप नहीं उसका ही, स्वर्ग से चुरा जो लाया
- रूप की माधुरी से मन भर नहीं रहा है
- रूप की तृष्णा मिटी न मेटे
- लोग सभी तट पर आ-आकर ठहरे
- सताती है अब भी तो चिंता
- सुरों की धारा में है बहना
- श्रम से मिले धन, मान, गुरु से तत्वबोध, ज्ञान
- होगा जो होना है
- Song of the unknown
- I am the uprooted
- भावानुवाद: अग्नि की पारसमणि
- भावानुवाद: आनंद लोक के मंगल आलोक में