har moti me sagar lahre

जितना शब्दों में रख पाया
उतना तो मेरा मैं तुमसे

भूलेगा न भुलाया

जो खोया, पाया जीवन में
बिम्बित है स्वर के दर्पण में
मिलूँ तुम्हें अब-सा ही बन मैं

जाऊँ जभी बुलाया