har moti me sagar lahre

मैं हिमालय की बड़ी चोटियों पे फिरता हूँ
तुम मुझे भीड़ में सड़कों की कहाँ पाओगे !
हाँ, अगर प्यार में तड़पे हो कभी मुझ-से ही
मुझको पढ़ते ही मेरे पास पहुँच जाओगे