har moti me sagar lahre

अंतर में भावना का जब उफान आता है
शब्द जग जाते, अक्षरों में प्राण आता है
दीप ले तुकों के छंद-लय में ढूँढ़ना है व्यर्थ
मंत्र काव्य का तो आप कानोकान आता है