har moti me sagar lahre

एक-एक दिन

रच-पचकर गढे हुए एक-एक दिन
सोने  से मढ़े  हुए  एक – एक दिन
जाने मुझे लेकर कहाँ भागे चले जा रहे
घोड़े  पर  चढ़े  हुए  एक-एक दिन

गा – गाकर बिताते हुए एक – एक दिन
आँकता मैं जाते हुए एक – एक दिन
फरसा ले जीवन-तरु काटने आते, फिर भी
प्रिय हैं मुझे, आते हुए एक – एक दिन

रँगे रंग – रलियों  से  एक – एक दिन
उड़ गये तितलियों – से एक – एक दिन
कौड़ी मोल बेचा जिन्हें, हीरे अनमोल हैं अब
गिनता जो उँगलियों से एक – एक दिन

काल के हवाले हुए एक-एक दिन
एक से बढ़कर निराले एक-एक दिन
स्मृति के द्वार से आकर मुझे रुला जाते हैं
लौटकर न आनेवाले एक-एक दिन

तप-तप कर जले-बुझे एक – एक दिन
आयु के दिए हैं तुझे एक – एक दिन
है दृढ़ प्रतीति गूँजी पायलें जिनमें तेरी
करेंगे अमर वे  मुझे  एक – एक दिन
Septembar 2014