har moti me sagar lahre
श्रम से मिले धन, मान, गुरु से तत्वबोध, ज्ञान
योग के बल से चूल पर्वत की भी हिलती है
साधना से सिद्धि, देवाराधना से सुख-समृद्धि
तप से कुण्डलिनी की सुषुप्त कली खिलती है
मन्त्रों की शक्ति से है मिलती कुग्रहों से मुक्ति
भगवत् कृपा से दैव आपदा भी झिलती है
सब कुछ पाने का है उपाय, यत्न लाख करो
एक बस बीती हुई आयु नहीं मिलती है