har subah ek taza gulab

अब कहाँ मिलने की सूरत रह गयी!
दिल में बस यादों की रंगत रह गयी!

देखिये, टूटी हैं कब ये तीलियाँ
जब नहीं उड़ने की ताक़त रह गयी

हम किनारे पर तो आ पहुँचे, मगर
धार में डूबें, ये हसरत रह गयी

बन गयीं पत्थर की सब शहज़ादियाँ
आँख भर लाने की आदत रह गयी