har subah ek taza gulab
कुछ और भी है उन आँखों की बेज़बानी में
चमक रहे हैं सितारे नदी के पानी में
हमारे दिल का तड़पना ही रंग लाया है
नहीं तो क्या था भला आपकी कहानी में !
पता नहीं था कि कटकर गयी है मंज़िल से
वो राह हमने जो धर ली थी नौजवानी में
दिखा दे ज़ोर दिखाना हो जो तुझे, तूफ़ान !
उठेगा अब न कोई बुलबुला भी पानी में
गुलाब खिल नहीं पाते हैं जो बहार में भी
कमी तो कुछ है कहीं उनकी बाग़वानी में