har subah ek taza gulab

दर्द को हँसकर उड़ाना चाहिए
आँसुओं में मुस्कुराना चाहिए

गीत, ग़ज़लें या रुबाई, जो कहो
उनसे मिलने का बहाना चाहिए

बाग़ भर में उड़ रही ख़ुशबू तो क्या !
फूल को हाथों में आना चाहिए

चलते-चलते मिल ही जायेंगे कभी
ज़िंदगी का ताना-बाना चाहिए

ठाठ पत्तों का हुआ झीना, गुलाब !
अब कहीं सर को छिपाना चाहिए