har subah ek taza gulab
अब उन हसीन अदाओं का रंग छूट गया
हमारे प्यार का सपना ही जैसे टूट गया
ये हमने माना कि हरदम चलेगा दौर यही
मिलेगा वह कहाँ प्याला जो गिरके टूट गया
कभी तो फिर भी अकेले में मिल ही जाओगे
भले ही आज है मेले में साथ छूट गया
वे और हैं जो बजाते हैं ज़िन्दगी का सितार
छुआ था हमने तो जैसे ही, तार टूट गया
गुलाब! तुमने भी तो फेंकी थी हवा में कमंद
पहुँच गये भी थे उन तक कि हाथ छूट गया