har subah ek taza gulab
मुझे देखते रहे जो बड़ी बेरुख़ी से पहले
मेरे नाम पर हैं रोते, वही अब सभी से पहले
मैं नहीं था फिर भी मुझको तेरा दिल पुकारता था
मेरा प्यार जी रहा था, मेरी ज़िंदगी से पहले
यही मुश्किलें हैं देती एहसास ज़िंदगी का
मुझे ग़म भी थोड़ा दे दे, मेरी हर ख़ुशी से पहले
कई बार यों तो आयीं तेरे बाग़ में बहारें
ये गुलाब पर कहाँ थे मेरी शायरी से पहले !