har subah ek taza gulab

यों तो निशान पाँव का मिलता है यहीं तक
मानेंगे हम न, साथ हमारा है यहीं तक

ख़ुशबू है प्यार की भी छिपी चितवनों के पार
लेकिन हमारा आप पर दावा है यहीं तक

क्या कीजियेगा जानके दीवानगी का राज़ !
राही से मेलजोल भी अच्छा है यहीं तक

यह ज़िंदगी है प्यार की मंज़िल का एक पड़ाव
हाँ, यह ज़रूर है कि तड़पना है यहीं तक

दिल में भी है बसी हुई रंगत गुलाब की
मुँह फेरनेवाले ! न समझना है यहीं तक