har subah ek taza gulab

हमारे वास्ते कहना है जो, ख़ुशी से कहो
मगर जो औरों से कहते हो वह हमींसे कहो

खड़ी है कब से निगाहें झुकाये यह दुलहन
कभी तो दिल की कोई बात ज़िंदगी से कहो

ग़रज़ कि कुछ तो ख़मोशी का सिलसिला टूटे
नहीं जो प्यार से कहते तो बेरुख़ी से कहो

हमारे दिल पे भी गुज़रे हैं हादसे कितने
मगर वे ऐसे नहीं हैं कि हर किसीसे कहो

गुलाब ! हमने ये माना बड़े रंगीन हो तुम
मगर जो बात भी कहनी हो, सादगी से कहो